शनिदेव किन लोगों से होते हैं प्रसन्न और क्या देते हैं आशीर्वाद ।
शनिदेव किन लोगों से होते हैं प्रसन्न और क्या देते हैं आशीर्वाद ।
शनिवार को शनिदेव का दिन माना जाता है, कारण इस दिन के कारक देव यही हैं। इसके अलावा शनि को लेकर लोगों में अत्यधिक भ्रम की स्थिति बनी हुई है, जिस कारण हर कोई शनि से भय खाता है। ज्योतिष में शनि को दुख का कारक माना जाता हो, परंतु वास्तव में वह न्याय के देवता हैं, जो दंड के विधान का पालन करते हैं।शनि केवल आपके द्वारा किए गए ऐसे कार्यों पर ही दंड देते हैं, जो अनुचित माने जाते हैं। लेकिन समय के प्रभाव के चलते तकरीबन सभी लोग जाने अंजाने भी इसमें फंस जाते हैं। यहीं कारण है कि शनि के दंड को लेकर हर किसी में डर रहता है। जिसके चलते शनि को लेकर कई भ्रांतियां फैल गईं हैं।शनि केवल दंड ही नहीं देते बल्कि शुद्ध कर्म करने वालों को आशीर्वाद भी देते हैं। यहां तक की ऐसे लोगों को फर्श से उठाकर अर्श तक भी ले जाते हैं। शनिदेव न्याय के देवता हैं और वह व्यक्ति को उसके कर्मों का ही फल अथवा दंड देते हैं।इसी कारण भगवान शिव ने शनि महाराज को नवग्रहों में न्यायाधीश का काम सौंपा है। उनकी कृपा जिस पर होती है, उसे जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती है।
शनि देव को सच बोलने वाले लोग पसंद हैं, साथ ही वे किसी प्रकार के गलत कार्य में संलग्न न हो और न ही किसी का दिल दुखाते हों।
: जो लोग बड़ों का और खासतौर पर अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, शनिदेव उन लोगों पर प्रसन्न रहते हैं।
: जो लोग मेहनत करते हैं, ईमानदारी से कार्य करते हैं और किसी का हक नहीं छीनते, शनिदेव उन लोगों से रुष्ट नहीं होते।
धार्मिक कार्यों में लीन रहनेवाले और भगवान हनुमान के भक्तों को शनिदेव कभी प्रताणित नहीं करते हैं। गरीब और जरूरतमंद लोगों की सहायता करने पर शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
शनिदेव मांस और मदिरा का सेवन करनेवालों को पसंद नहीं करते। यदि आपकी कुंडली में शनि की दशा सही नहीं है तो आपको इन चीजों से विशेष तौर पर परहेज करना चाहिए।
1. सूर्यदेव :-
शनि महाराज भगवान सूर्य और उनकी दूसरी पत्नी छाया के पुत्र हैं। सूर्य ने अपने ही पुत्र शनि को शाप देकर उनके घर को जला दिया था। इसके बाद शनि ने तिल से अपने पिता सूर्य देव की पूजा की जिससे सूर्य प्रसन्न हो गए। इस घटना के बाद से तिल से शनि और सूर्य की पूजा की परंपरा शुरू हुई।
2. हनुमान जी :-
शनि महाराज को जिनसे डर लगता है उनमें सबसे मुख्य हैं हनुमान जी। हनुमान जी ने शनिदेव का घमंड तोडा था, तब से शनिदेव से पहले हनुमान जी की पूजा का भी विधान बन गया। कहते हैं हनुमानजी के दर्शन और उनकी भक्ति करने से शनि के सभी दोष समाप्त हो जाते हैं और हनुमान जी के भक्तों को शनिदेव परेशान नहीं करते हैं।
3 श्रीकृष्ण :-
श्रीकृष्ण, शनि महाराज के ईष्ट देव माने जाते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब कृष्ण जन्म हुआ तो शनिदेव को उनकी वक्रदृष्टि के दोष के कारण अन्य देवताओं ने कृष्ण के दर्शन नहीं करने दिए। जिससे शनिदेव दुखी हो गए और उन्होंने कोकिलावन में कड़ा तप किया। जिससे कृष्ण द्रवित हो गए और उन्होंने शनिदेव को कोयल के रूप में दर्शन दिए। शनि महाराज ने कान्हा को वचन दिया था कि वह कृष्ण भक्तों को परेशान नहीं करेंगे।
4. पीपल का वृक्ष :-
कहते हैं कि पीपल के वृक्ष पर शनिदेव का वास रहता है। कहा जाता है की एक असुर कैटभ ने एक ऋषि आश्रम में पीपल का रूप धारण कर रखा था। जब भी कोई ऋषि उस पेड़ के नीचे आता तो वो असुर उसे निगल जाता। सभी ऋषि मुनि शनिदेव के पास गए और उनसे सहायता मांगी, और शनिदेव ने उस राक्षस का संहार कर दिया। शनिदेव ने ऋषि मुनियों की रक्षा के लिए उन्हें वचन दिया था कि पीपल की पूजा करने वालों की वह स्वयं रक्षा करेंगे।
5. भगवान शिव :-
भगवान शिव शनि महाराज के आराध्य हैं। भगवान शिव ने शनि महाराज से कहा कि मेरे भक्तों पर तुम अपनी वक्र दृष्टि नहीं डालोगे। इसलिए शिव भक्त शनि के कोप से मुक्त रहते हैं।