कुंभ क्यों मनाया जाता है / Mahakumbh
Mahakumbh 2025 / हिंदू धर्म में महाकुंभ मेला का विशेष महत्व है। कुंभ के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के बीच मान्यता है यह कहानी है, करोड़ों वर्ष पूर्व जब सभी देवताओं ने अपनी सारी शक्तियां खो दी थी। ऋषि दुर्वासा के श्राप की वजह से, उसके बाद सभी देवताएं अपनी शक्तियां पाने के लिए भगवान विष्णु के पास जाते हैं, भगवान विष्णु ने सुझाव दिया कि आप लोग क्षीर सागर का मंथन करें, जिससे अमृत निकलेगा लेकिन देवता ये अकेले नही कर सकते थे ।
इसके लिए उन्हें असुर की जरूरत थी, अमृत पाने के लालच में असुर भी देवताओं की मदद करने के लिए तैयार हो गए। देवताओं और असुर के बीच समुद्र मंथन के दौरान जो अमृत कुंभ निकला था, अमृत को पाने के लिए देवता और असुरों में घमासान युद्ध हुआ अमृत कुंभ के लिए स्वर्ग मे 12 दिन तक संघर्ष चलता रहा और कहा जाता है की देवताओं का एक दिन हम मनुष्य के लिए 12 साल के बराबर हैं। इस लिए कुंभ का आयोजन 12 साल में एक बार होता हैं।
अमृत की कुछ बूंदे पृथ्वी पर गिर गई थीं, जिन स्थानों पर अमृत की बूंदे गिरीं वहां हर 12 वर्ष में कुंभ मेले का आयोजन होता है। प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक ये चार प्रमुख स्थान हैं।
हर 6 साल में आता है ‘अर्द्ध कुंभ’ अर्द्ध कुंभ, नाम से ही स्पष्ट है कि इसका अर्थ ‘आधा’ होता है। हर 6 साल में अर्द्ध कुंभ प्रयागराज और हरिद्वार में आयोजित होता है। हर 12 साल में आता है ‘पूर्ण कुंभ’ हर 12 साल में लगने वाले कुंभ मेले को पूर्ण कुंभ कहते है। इस मेले का आयोजन प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक में होता है। हर 144 साल में आता है ‘महाकुंभ’ हर 144 साल बाद महाकुंभ का भव्य आयोजन होता है। सिर्फ प्रयागराज में महाकुंभ होता है। बता दें कि12 पूर्ण कुंभ के बाद महाकुंभ आता है।
Mahakumbh 2025 में महाकुंभ से जुड़ी तिथियां
13 जनवरी 2025 – पौष पूर्णिमा
14जनवरी 2025 मकर संक्रांति
29 जनवरी 2025 – मौनी अमावस्या
2 फरवरी 2025 – बसंत पंचमी
12 फरवरी 2025 – माघ पूर्णिमा
26 फरवरी 2025 – महाशिवरात्रि
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