By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept

MAHI SINGH

MAHI SINGH-DHARMA GYAN MOTIVATION GROUP

  • Home
  • Give DonationNew
  • My Shop
  • धर्म ज्ञान
  • मंत्र ज्ञान
  • व्रत कथा
  • अध्यात्म
    • अध्यात्म
    • आरती
    • चालीसा
  • ज्योतिष
  • MAHI SINGH
  • हेल्थ टीप्स
  • YOGA/योगा
  • मोटिवेशन
    • मोटिवेशन
    • सुविचार
  • हिन्दी साहित्य
    • HINDI KAVITA/हिंदी कविता
    • HINDI STORY/ हिंदी कहानियाँ
  • गैलरी
    • फोटो
    • विडियो
    • वेब स्टोरी
  • Bookmarks
Reading: देवशयनी एकादशी : देवशयनी एकादशी व्रत कथा क्या है जानिए, Devshayani Ekadashi
Share
Sign In
Notification Show More
Font ResizerAa

MAHI SINGH

MAHI SINGH-DHARMA GYAN MOTIVATION GROUP

Font ResizerAa
  • Home Default
  • Give Donation
  • My Shop
  • धर्म ज्ञान
  • मंत्र ज्ञान
  • अध्यात्म
  • ज्योतिष
  • MAHI SINGH
  • हेल्थ टीप्स
  • YOGA/योगा
  • मोटिवेशन
  • सुविचार
  • व्रत कथा
  • आरती
  • चालीसा
  • HINDI KAVITA/हिंदी कविता
  • HINDI STORY/ हिंदी कहानियाँ
  • फोटो
  • विडियो
  • वेब स्टोरी
  • My Bookmarks
  • Home
    • Home
    • Give Donation
    • My Shop
  • Categories
    • Home
    • अध्यात्म
    • MAHI SINGH
    • ज्योतिष
    • हेल्थ टीप्स
    • व्रत कथा
    • धर्म ज्ञान
    • मंत्र ज्ञान
    • मोटिवेशन
    • सुविचार
    • YOGA/योगा
    • फोटो
    • आरती
    • विडियो
    • चालीसा
    • HINDI KAVITA/हिंदी कविता
    • HINDI STORY/ हिंदी कहानियाँ
    • वेब स्टोरी
  • Bookmarks
    • My Bookmarks
    • Sitemap
Have an existing account? Sign In
Follow US
  • Give Donation
  • My Shop
  • Blog
  • ABOUT US
  • Contact US
  • Disclaimer
  • DMCA Policy
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
© Hitechgyan.net
MAHI SINGH > Blog > VRAT KATHA > Ekadashi Vrat Katha > देवशयनी एकादशी : देवशयनी एकादशी व्रत कथा क्या है जानिए, Devshayani Ekadashi
VRAT KATHAEkadashi Vrat Kathaएकादशी व्रत कथाव्रत कथा

देवशयनी एकादशी : देवशयनी एकादशी व्रत कथा क्या है जानिए, Devshayani Ekadashi

MAHI SINGH
Last updated: July 17, 2024 10:17 am
By MAHI SINGH
Share
7 Min Read
Indira Ekadashi Vrat Katha : इंदिरा एकादशी की व्रत कथा | पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए पढ़ें इंदिरा एकादशी व्रत कथा
SHARE

Devshayani Ekadashi

देवशयनी एकादशी व्रत कथा – Devshayani Ekadashi

अर्जुन ने कहा- “हे श्रीकृष्ण! आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या व्रत है? उस दिन किस देवता का पूजन होता है? उसका क्या विधान है? कृपा कर यह सब विस्तारपूर्वक बतायें। “भगवान श्रीकृष्ण ने कहा- “हे धनुर्धर! एक बार नारदजी ने ब्रह्माजी से यही प्रश्न पूछा था। तब ब्रह्माजी ने कहा कि नारद! तुमने कलियुग में प्राणिमात्र के उद्धार के लिए सबसे श्रेष्ठ प्रश्न पूछा है, क्योंकि एकादशी का व्रत सब व्रतों में उत्तम होता है। इसके व्रत से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस एकादशी का नाम देवशयनी एकादशी है। यह व्रत करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। इस सम्बन्ध में मैं तुम्हें एक पौराणिक कथा सुनाता हूँ, ध्यानपूर्वक श्रवण करो-

Breaking News
Devshayani Ekadashi, Ekadashi

– कथा –

 मान्धाता नाम का एक सूर्यवंशी राजा था। वह सत्यवादी, महान तपस्वी और चक्रवर्ती था। वह अपनी प्रजा का पालन सन्तान की तरह करता था। उसकी सारी प्रजा धन-धान्य से परिपूर्ण थी और सुखपूर्वक जीवन-यापन कर रही थी। उसके राज्य में कभी अकाल नहीं पड़ता था। कभी किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा नहीं आती थी, परन्तु न जाने उससे देव क्यों रूष्ट हो गये। न मालूम राजा से क्या भूल हो गई कि एक बार उसके राज्य में जबरदस्त अकाल पड़ गया और प्रजा अन्न की कमी के कारण अत्यन्त दुखी रहने लगी। राज्य में यज्ञ होने बन्द हो गए। अकाल से पीड़ित प्रजा एक दिन दुखी होकर राजा के पास जाकर प्रार्थना करने लगी।

‘हे राजन! समस्त संसार की सृष्टि का मुख्य आधार वर्षा है। इसी वर्षा के अभाव से राज्य में अकाल पड़ गया है और अकाल से प्रजा मर रही है। हे भूपति! आप कोई ऐसा जतन कीजिये, जिससे हम लोगों का कष्ट दूर हो सके। यदि जल्द ही अकाल से मुक्ति न मिली तो विवश होकर प्रजा को किसी दूसरे राज्य में शरण लेनी पड़ेगी।’

Breaking News

प्रजाजनों की बात सुन राजा ने कहा- ‘आप लोग सत्य कह रहे हैं। वर्षा न होने से आप लोग बहुत दुखी हैं। राजा के पापों के कारण ही प्रजा को कष्ट भोगना पड़ता है। मैं बहुत सोच-विचार कर रहा हूँ, फिर भी मुझे अपना कोई दोष दिखलाई नहीं दे रहा है। आप लोगों के कष्ट को दूर करने के लिए मैं बहुत उपाय कर रहा हूँ, परन्तु आप चिन्तित न हों, मैं इसका कोई-न-कोई उपाय अवश्य ही करूँगा।’

राजा के वचनों को सुन प्रजाजन चले गये। राजा मान्धाता भगवान की पूजा कर कुछ विशिष्ट व्यक्तियों को साथ लेकर वन को चल दिया। वहाँ वह ऋषि-मुनियों के आश्रमों में घूमते-घूमते अन्त में ब्रह्मा जी के मानस पुत्र अंगिरा ऋषि के आश्रम पर पहुँच गया। रथ से उतरकर राजा आश्रम में चला गया। वहाँ ऋषि अभी नित्य कर्म से निवृत्त ही हुए थे कि राजा ने उनके सम्मुख पहुँचकर उन्हें प्रणाम किया। ऋषि ने राजा को आशीर्वाद दिया, फिर पूछा- ‘हे राजन! आप इस स्थान पर किस प्रयोजन से पधारे हैं, सो कहिये।’

Breaking News

राजा ने कहा- ‘हे महर्षि! मेरे राज्य में तीन वर्ष से वर्षा नहीं हो रही है। इससे अकाल पड़ गया है और प्रजा कष्ट भोग रही है। राजा के पापों के प्रभाव से ही प्रजा को कष्ट मिलता है, ऐसा शास्त्रों में लिखा है। मैं धर्मानुसार राज्य करता हूँ, फिर यह अकाल कैसे पड़ गया, इसका मुझे अभी तक पता नहीं लग सका। अब मैं आपके पास इसी सन्देह की निवृत्ति के लिए आया हूँ। आप कृपा कर मेरी इस समस्या का निवारण कर मेरी प्रजा के कष्ट को दूर करने के लिए कोई उपाय बतलाइये।’

सब वृत्तान्त सुनने के बाद ऋषि ने कहा- ‘हे नृपति! इस सतयुग में धर्म के चारों चरण सम्मिलित हैं। यह युग सभी युगों में उत्तम है। इस युग में केवल ब्राह्मणों को ही तप करने तथा वेद पढ़ने का अधिकार है, किन्तु आपके राज्य में एक शूद्र तप कर रहा है। इसी दोष के कारण आपके राज्य में वर्षा नहीं हो रही है। यदि आप प्रजा का कल्याण चाहते हैं तो शीघ्र ही उस शूद्र का वध करवा दें। जब तक आप यह कार्य नहीं कर लेते, तब तक आपका राज्य अकाल की पीड़ा से कभी मुक्त नहीं हो सकता।’

Breaking News

ऋषि के वचन सुन राजा ने कहा- ‘हे मुनिश्रेष्ठ! मैं उस निरपराध तप करने वाले शूद्र को नहीं मार सकता। किसी निर्दोष मनुष्य की हत्या करना मेरे नियमों के विरुद्ध है और मेरी आत्मा इसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं करेगी। आप इस दोष से मुक्ति का कोई दूसरा उपाय बतलाइये।’

राजा को विचलित जान ऋषि ने कहा- ‘हे राजन! यदि आप ऐसा ही चाहते हो तो आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी नाम की एकादशी का विधानपूर्वक व्रत करो। इस व्रत के प्रभाव से तुम्हारे राज्य में वर्षा होगी और प्रजा भी पूर्व की भाँति सुखी हो जाएगी, क्योंकि इस एकादशी का व्रत सिद्धियों को देने वाला है और कष्टों से मुक्त करने वाला है।’

ऋषि के इन वचनों को सुनकर राजा अपने नगर वापस आ गया और विधानपूर्वक देवशयनी एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से राज्य में अच्छी वर्षा हुई और प्रजा को अकाल से मुक्ति मिली।

इस एकादशी को पद्मा एकादशी भी कहते हैं। इस व्रत के करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं, अतः मोक्ष की इच्छा रखने वाले मनुष्यों को इस एकादशी का व्रत करना चाहिए। चातुर्मास्य व्रत भी इसी एकादशी के व्रत से आरम्भ किया जाता है।”

– कथा-सार –

अपने कष्टों से मुक्ति पाने के लिए किसी दूसरे का बुरा नहीं करना चाहिए। अपनी शक्ति से और भगवान पर पूरी श्रद्धा और आस्था रखकर सन्तों के कथनानुसार सत्कर्म करने से बड़े-बड़े कष्टों से सहज ही मुक्ति मिल जाती है।

इस लेख में दी गई जानकारी पसंद आए तो हमारी वेबसाइट को फॉलो करें अपने मित्रों के साथ शेयर करें।

https://youtube.com/@singermahisingh

https://youtube.com/@btxbhaktigroup

Related

You Might Also Like

Durga Saptashati – श्रीदुर्गासप्तशती | दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला – संस्कृत गीतिकाव्य

Chhath puja : नहाय खाय से शुरू हुआ छठ महापर्व, जानें क्या है पूजा विधि, और सामग्री

Nirjala Ekadashi : निर्जला एकादशी व्रत, करने से मिलती है सभी एकादशी का फल, जानिए क्या है व्रत कथा

Papankusha Ekadashi Vrat Katha : पापांकुशा एकादशी व्रत करने से मिलती है पापों से मुक्ति, सुनें व्रत कथा।

Durga Saptashati – संपूर्ण श्रीदुर्गासप्तशती हिन्दी अनुवाद | अथ श्रीदुर्गासप्तशती पहला अध्याय

TAGGED:Devshayani EkadashiEkadashiEkadashi Vrat KathaVrat Kathaएकादशी कब हैदेवशयनी एकादशी व्रत कथा

SIGN UP For NEW Post

हमारी NEW पोस्ट पाने के लिए SIGN UP करें THANK's !!
By signing up, you agree to our Terms of Use and acknowledge the data practices in our Privacy Policy. You may unsubscribe at any time.
Share This Article
Facebook X Pinterest Whatsapp Whatsapp LinkedIn Telegram Email Copy Link Print
Share
What do you think?
Happy0
Joy0
Love0
Surprise0
By MAHI SINGH
Follow:
Hi My Name is Mahi Singh, I Am Singer And Motivational Speaker Of BTX Bhakti Group !!
Previous Article पारस पत्थर Paras Pathar Shri Krishna : श्रीकृष्ण नाम और पारस पत्थर बहुत सुंदर कहानी एक बार जरूर पढ़े ।
Next Article Ramayan : सबसे बड़ा धनी केवट | भगवान श्री राम और केवट संवाद, Ramayan Kevat Prasang Ramayan : श्रीराम केवट प्रसंग | केवट और प्रभु श्रीराम का बहुत ही सुंदर प्रसंग एक बार जरूर देखें वीडियो
Leave a Comment Leave a Comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हमसे जुड़े / Stay Connected

235.3kFollowersLike
269.1kFollowersFollow
116kFollowersPin
256.4kFollowersFollow
208.5kSubscribersSubscribe

लेटेस्ट न्यू पोस्ट

Navratri Images | Happy Chaitra Navratri | Navratri photo download
Navratri Images | Happy Chaitra Navratri | Navratri photo download
PHOTOS March 31, 2025
Mahakumbh 2025 : 144 साल बाद प्रयाग कुंभ मेला, Prayagraj Mahakumbh
Mahakumbh 2025 : 144 साल बाद प्रयाग कुंभ मेला, Prayagraj Mahakumbh
ADHYATMA January 14, 2025
Mahakumbh 2025, Mahakumbh Mela, Prayagraj Mahakumbh
Mahakumbh 2025 : Mahakumbh 144 वर्ष बाद पड़ रहा है जाने क्या है विशेष / Prayagraj Mahakumbh
ADHYATMA January 12, 2025
Gyan -आत्मज्ञान - ज्ञान और आत्मज्ञान क्या है। Gyan - Enlightenment
Gyan -आत्मज्ञान – ज्ञान और आत्मज्ञान क्या है। Gyan – Enlightenment
ADHYATMA November 27, 2024
//

Hi  हमारी वेबसाइट 20 million लोगों को धार्मिक पोस्ट, धार्मिक सामग्री प्रदान करती है। हमारी वेबसाइट आपको सभी प्रकार की धर्म ज्ञान से संबंधित प्रमाणिक जानकारी प्रदान करती है। यह वेबसाइट धर्म ज्ञान से संबंधित वर्ड में नंबर वन वेबसाइट है।।

Quick Link

  • HOME DEFAULT
  • Give Donation
  • My Shop
  • MY BOOKMARK
  • BLOG INDEX
  • MAHI SINGH

Top Categories

  • धर्म ज्ञान
  • मंत्र ज्ञान
  • ज्योतिष
  • हेल्थ टीप्स
  • मोटिवेशन
  • वेब स्टोरी

SIGN UP For NEW Post

हमारी NEW पोस्ट पाने के लिए SIGN UP करें THANK’s !!

DMCA.com Protection Status
MAHI SINGHMAHI SINGH
Follow US
© Hitechgyan.net
  • Give Donation
  • My Shop
  • Blog
  • ABOUT US
  • Contact US
  • Disclaimer
  • DMCA Policy
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
Mahisingh.in
Join us / हमसे जुड़े !!
हमारी NEW पोस्ट पाने के लिए SIGN UP करें THANK's !!
Zero spam, Unsubscribe at any time.
 

Loading Comments...
 

    adbanner
    Mahisingh.in Mahisingh.in
    HI WELCOME BACK

    SIGNING

    Username or Email Address
    Password

    Lost your password?

    Not a member? Sign Up