Gautam Buddha – गौतम बुद्ध के अनमोल विचार – शान्त मन
Gautam Buddha – एक समय की बात है गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ एक सफर पर थे। सफर में चलते-चलते बुद्ध को प्यास लगी तो उन्होंने अपने एक शिष्य से कहा कि जाओ जाकर मेरे लिए पीने का पानी लेकर आओ।
अब ऐसे में उस शिष्य ने आसपास देखा तो कहीं कोई पानी का स्रोत नहीं मिला। लेकिन उसने और कोशिश की तो रास्ते में उसे एक पानी का स्त्रोत मिला।
वहां उसने देखा कि कुछ लोग उस पानी के स्त्रोत में कपड़े धो रहे हैं और तभी वहाँ से एक बैलगाड़ी उस पानी के स्त्रोत के ऊपर से गुजर गया। ऐसे में वहां का पूरा पानी गंदा हो गया और उसमें मिट्टी भर गया। फिर उसने सोचा कि इस गंदे पानी को, मिट्टी से भरे हुए पानी को मैं बुद्ध के लिए कैसे लेकर जा सकता हूं?
तो वह खाली हाथ ही वापस चला गया और गौतम बुद्ध से जाकर यह बात बताई। बुद्ध ने कहा कि ठीक है हम सब यहां इस बड़े से पेड़ की छाया में बैठकर आराम करते हैं।
कुछ समय बीता फिर गौतम बुद्ध ने उसी शिष्य को फिर से पानी लाने को कहा। अब वह शिष्य वापस से उसी पानी के स्रोत के पास गया। वहां जाकर उसने देखा कि वह पानी बिलकुल साफ था और पीने योग्य था। अब वह शिष्य बुद्ध के लिए वह पानी लेकर गया और उसने वह पानी गौतम बुद्ध को पिलाया।
बुद्ध ने सब को यह बात बताई कि जिस तरह से पानी में कीचड़ मिट्टी फैल गई थी। लेकिन उसे थोड़ी समय तक छोड़ देने तक उसका सारा मिट्टी नीचे बैठ गया और वह पानी वापस से साफ हो गया। उसी तरह से हमारा मस्तिष्क भी है। जब हमारा मस्तिष्क अशांत हो तब उसे वक्त देकर उसे शांत करो। हमारा मस्तिष्क भी थोड़े समय के बाद शांत जरूर होगा। अशांत मस्तिष्क से कोई भी निर्णय नहीं लेना चाहिए। बस हमें करना यह है कि हमें अपने मस्तिष्क को थोड़ी देर तक शांत रखना है जिससे कि हम अच्छे फैसले ले सकते हैं। बच्चों की कहानियाँ ।
Moral of The Story – अशांत मस्तिष्क से लिए हुए फैसले हमेशा गलत होते हैं। हमें हमेशा शांत मस्तिष्क के साथ ही कोई निर्णय लेना चाहिए जिससे कि गलतियां होने की गुंजाइश कम हो जाती है।

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