क्रोध के 2 मिनट
क्रोध एक ऐसी आग है जिसमें जलना स्वयं को है और नुकसान भी स्वयं का होता है।
इसीलिए क्रोध से जितना दूर रहे उतना ही अच्छा है। हमारे जीवन में क्रोध का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
आज की स्टोरी से आप क्या सीखते हैं कमेंट में हमें जरूर बताएं।
एक युवक ने विवाह के दो साल बाद परदेश जाकर व्यापार करने की इच्छा पिता से कही पिता ने सवीकृति दी तो वह अपनी गर्भवती पत्नी को मां बाप के जिम्मे छोड़कर व्यापार करने चला गया और फिर परदेश मे मेहनत से बहुत धन कमाया और वह धनी सेठ बन गया, 17 वर्ष धन कमाने मे बीत गए तो संतुष्टि हुई और वापस घर लौटने की इच्छा हुई, पत्नी को पत्र लिखकर आने की सुचना दी और जहाज मे बैठ गया उसे जहाज मे एक व्यक्ति मिला जो दुखी मन से बैठा था सेठ ने उसकी उदासी का कारण पूछा तो उसने बताया कि इस देश मे ज्ञान की कोई कद्र नहीं है, मै यहां ज्ञान के सूत्र बेचने आया था। पर कोई लेने को तैयार नहीं है, सेठ ने सोचा इस देश मे मैंने बहुत धन कमाया है, और यह मेटी कर्मभूमि है, इसका मान रखना चाहिए। उसने ज्ञान के सूत्र खरीदने की इच्छा जताई, उस व्यक्ति से कहा मेरे हर ज्ञान सूत्र की कीमत 500 स्वर्ण मुद्राए है, सेठ को सौदा तो बहुत महंगा लग रहा था, लेकिन कर्मभूमि का मान रखने के लिए 500 मुद्राए दे दी !
व्यक्ति ने ज्ञान का पहला सूत्र दिया – कोई भी कार्य करने से पहले दो मिनट रुककर सोच लेना सेठ ने सूत्र अपनी किताब मे लिख लिया कई दिनो की यात्रा के बाद रात्रि के समय सेठ अपने नगर को पंहुचा, उसने सोचा इतने साल बाद घर लौटा हूँ, तो क्यों न चुपके से बिना खबर दिए सीधे पत्नी के पास पहुंच कर उसे सरप्राइज दूँ ! घर के द्वारपालो को मौन रहने का इशारा करके सीधे अपने पत्नी के कक्ष मे गया तो वहां का नज़ारा देखकर उसके पावों के नीचे की जमीन खिसक गई पलंग पर उसकी पत्नी के साथ एक युवक सोया हुआ था अत्यंत क्रोध में सोचने लगा कि मै परदेस मे भी इसका चिंता करता रहा और ये यहां अन्य पुरुष के साथ आज मै दोनो को जिन्दा नहीं छोडूंगा क्रोध मे तलवार निकाल ली वार करने ही जा रहा था कि इतने मे ही उसे 500 स्वर्ण मुद्राओं से प्राप्त ज्ञान सूत्र याद आ गया कि कोई भी कार्य करने से पहले दो मिनट सोच लेना सोचने के लिए रुका, तलवार पीछे खींची तो एक बर्तन से टकरा गई बर्तन गिरा तो पत्नी की नींद खुल गई, जैसे ही उसकी नज़र अपने पति पर पड़ी वह खुश हो गई और बोली आपके बिना जीवन सुना-सुना था, इंतज़ार मे इतने वर्ष निकाले यह मै ही जानती हूँ !
सेठ तो पलंग पर सोए पुरुष को देखकर क्रोधित था पत्नी ने युवक को उठने के लिए कहा – बेटा उठ जाग तेरे पिता आए है, युवक ने जैसे ही उठकर पिता को प्रणाम करने झूका माथे की पगड़ी पैटो मे गिर गई उसके लंबे बाल बिखर गए, सेठ की पत्नी ने कहा स्वामी ये आपकी बेटी है, पिता के बिना इसके मान को कोई आँच न आए इसलिए मैने इसे बचपन से पुत्र के समान ही पालन पोषण और संस्कार दिए है ! यह सुनकर सेठ की आँखो मे आंसूधारा बह निकली पत्नी और बेटी को गले लगाकर सोचने लगा कि यदि आज मैने उस ज्ञानसूत्र को नहीं अपनाया होता तो जल्दबाजी मे कितना अनर्थ हो जाता, मेरे ही हाथो मेरा निर्दोष परिवार खत्म हो जाता, ज्ञान का यह सूत्र उस दिन मूझे बेहद महंगा लग रहा था, लेकिन ऐसे सूत्र के लिए तो 500 स्वर्ण मुद्राए भी बहुत कम है क्योंकि ज्ञान तो अनमोल है !
दोस्तो कहानी अच्छी लगी हो तो आप भी सेठ की तरह मुझे ज्ञान सूत्र के बदले स्वर्ण मुद्राएं भले ही मत दो लेकिन लाइक करके अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करे, कहानी कैसी थी एक बार कमेंट में जरूर बताए और ऐसे ही पोस्ट रोजाना पढ़ने के लिए हमारे वेबसाइट को फॉलो जरूर करें !