बड़ा बनने के लिए बड़ा सोचो
जैसी व्यक्ति की सोच होगी वैसा ही उसका व्यक्तित्व होगा। तभी तो कहते है सोच अच्छी होनी चाहिए। इसी बारे आज मैं आपको एक प्रेरणादायी कहानी बता रहा हूँ।
नमस्कार मित्रों मेरा नाम माही सिंह
( Mahi Singh Special Motivational Speaker )
Motivational Life
अत्यंत गरीब परिवार का एक बेरोजगार युवक नौकरी की तलाश में किसी दूसरे शहर जाने के लिए रेलगाड़ी से सफ़र कर रहा था। घर में कभी-कभार ही सब्जी बनती थी, इसलिए उसने रास्ते में खाने के लिए सिर्फ रोटीयां ही रखी थी। आधा रास्ता गुजर जाने के बाद उसे भूख लगने लगी, और वह टिफिन में से रोटीयां निकाल कर खाने लगा।
उसके खाने का तरीका कुछ अजीब था, वह रोटी का एक टुकड़ा लेता और उसे टिफिन के अन्दर कुछ ऐसे डालता मानो रोटी के साथ कुछ और भी खा रहा हो, जबकि उसके पास तो सिर्फ रोटीयां थीं!! उसकी इस हरकत को आस पास के और दूसरे यात्री देख कर हैरान हो रहे थे। वह युवक हर बार रोटी का एक टुकड़ा लेता और झूठमूठ का टिफिन में डालता और खाता।
सभी सोच रहे थे कि आखिर वह युवक ऐसा क्यों कर रहा था। आखिरकार एक व्यक्ति से रहा नहीं गया और उसने उससे पूछ ही लिया की भैया तुम ऐसा क्यों कर रहे हो, तुम्हारे पास सब्जी तो है ही नहीं फिर रोटी के टुकड़े को हर बार खाली टिफिन में डालकर ऐसे खा रहे हो मानो उसमे सब्जी हो।
तब उस युवक ने जवाब दिया, “भैया, इस खाली ढक्कन में सब्जी नहीं है लेकिन मै अपने मन में यह सोच कर खा रहा हू की इसमें बहुत सारा आचार है, मै आचार के साथ रोटी खा रहा हू।”
फिर व्यक्ति ने पूछा , “खाली ढक्कन में आचार सोच कर सूखी रोटी को खा रहे हो तो क्या तुम्हे आचार का स्वाद आ रहा है?”
“हाँ, बिलकुल आ रहा है , मै रोटी के साथ अचार सोचकर खा रहा हूँ और मुझे बहुत अच्छा भी लग रहा है।”, युवक ने जवाब दिया।
उसके इस बात को आसपास के यात्रियों ने भी सुना, और उन्ही में से एक व्यक्ति बोला, “जब सोचना ही था तो तुम आचार की जगह पर मटर-पनीर सोचते, शाही गोभी सोचते….तुम्हे इनका स्वाद मिल जाता। तुम्हारे कहने के मुताबिक तुमने आचार सोचा तो आचार का स्वाद आया तो और स्वादिष्ट चीजों के बारे में सोचते तो उनका स्वाद आता। सोचना ही था तो भला छोटा क्यों सोचे तुम्हे तो बड़ा सोचना चाहिए था।”
मित्रो इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की जैसा सोचोगे वैसा पाओगे। छोटी सोच होगी तो छोटा मिलेगा, बड़ी सोच होगी तो बड़ा मिलेगा। इसलिए जीवन में हमेशा बड़ा सोचो। बड़े सपने देखो, तो हमेश बड़ा ही पाओगे। छोटी सोच में भी उतनी ही उर्जा और समय खपत होगी जितनी बड़ी सोच में, इसलिए जब सोचना ही है तो हमेशा बड़ा ही सोचो।
आप क्या सीखते हैं इस स्टोरी से आप हमें कमेंट में जरूर बताएं पसंद आए तो मित्रों के साथ शेयर करें वीडियो देखने के लिए हमारे चैनल को फॉलो करें धन्यवाद..!!
Yet another thing I would like to say is that in place of trying to match all your online degree lessons on days and nights that you complete work (considering that people are exhausted when they get back), try to obtain most of your sessions on the week-ends and only a couple of courses on weekdays, even if it means a little time off your saturdays. This is really good because on the saturdays and sundays, you will be much more rested as well as concentrated on school work. Many thanks for the different points I have figured out from your web site.