Meditation – घर पर ध्यान कैसे करें
अपने घर को ही तपोवन बनाइए
Meditation – अगर आपको अध्यात्म सीखना हो, तो जंगलो में तप करने, तपोवन बनाने मत जाइए। अपने घर को ही तपोवन बनाइए, उसे ठीक कीजिए। परिवार एक प्रयोगशाला है। आपके अंदर जो श्रेष्ठ गुण हैं, उसे आप कहां से सीखेंगे और परखेंगे ? गायत्री परिवार के आचार्य पं. श्री राम शर्मा जी ने कहा था।
कौन सा योगाभ्यास करेंगे। परिवार जैसी प्रयोगशाला संसार में कहीं भी नहीं। हर परिवार का शरीर, मन और आत्मा भी होती है। जो लोग चाहते हों कि परिवार में शांति रहे, पारलौकिक माहौल बना रहे, घर आएं तो बैकुंठ का स्वाद आए, उन्हें अपने परिवार को तीन भागों में बांटकर देखना होगा। जिस तरह शरीर की अपनी जरूरतें होती हैं, वैसे ही जब परिवार के शरीर को देखें तो उसकी भी कुछ आवश्यकताएं होती हैं। जब-जब हम शरीर की मांग को दबाएंगे तो शरीर में बीमारियां होगी।
ऐसे ही परिवार की कुछ मांगे होती है उसे दबाना नहीं चाहिए। वरना रिश्ते विकृत हो सकते हैं। कुछ आवश्यकताओं की पूर्ति सांसारिक रूप से परिवार में करनी ही होगी। आवश्यकताओं से जुड़ना पड़ता है, तब परिवार का शरीर शांत होगा। अब परिवार के मन को देखें।
जिस प्रकार मन में आवश्यकताएं नहीं होती, इच्छाएं होती हैं। आवश्यकताओं की पूर्ति करना खतरनाक नहीं है, लेकिन इच्छाओं की पूर्ति घातक है। इसीलिए परिवार के मन को इच्छाओं से मुक्त रखा जाए। इसकी आदत डालनी होगी। इसको बारीकी से ढूंढ़ना पड़ता है।
हर गृहस्थी की एक मानसिक आवश्यकता है, लेकिन उसे शरीर की तरह पूरा नहीं किया जा सकता। इसके बाद हमें आत्मा पर आना है और जिसने परिवार की आत्मा को स्पर्श कर लिया, उसे बैकुंठ मिलना ही है।
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