Navratri / दुर्गा पूजा विधि
Navratri : हिन्दू धर्म में माता दुर्गा को नवदुर्गा के रूप मे जाना जाता है। अथवा माता पार्वती के नौ रूपों को एक साथ कहा जाता है। इन नवों दुर्गा को पापों का विनाश करने वाली कहा गया है, हर देवी के अलग-अलग वाहन हैं, अस्त्र-शस्त्र हैं। परन्तु यह सब एक हैं।
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी ।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ॥
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिताः।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।।
यहाँ हम नवरात्रि के अवसर पर की जाने वाली दुर्गा पूजा की विस्तृत विधि का वर्णन कर रहे हैं। निम्नलिखित पूजन विधि में षोडशोपचार दुर्गा पूजा विधि के समस्त सोलह चरणों को सम्मिलित किया गया है।
1. ध्यान एवं आवाहन
दुर्गा पूजा का शुभारम्भ देवी के ध्यान एवं आवाहन के साथ होना चाहिये। देवी दुर्गा की मूर्ति के समक्ष आवाहन मुद्रा प्रदर्शित करते हुये निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिये। आवाहन मुद्रा में दोनों हथेलियों को मिलाकर अँगूठे को अन्दर की ओर मोड़कर रखा जाता है।
सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ।।
ब्रह्मरूपे सदानन्दे परमानन्द स्वरूपिणि ।
द्रुत सिद्धिप्रदे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ।।
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे ।
सर्वस्यार्त्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते।।
ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नमः आवाहनं समर्पयामि ।।
2. आसन
देवी दुर्गा का आवाहन करने के पश्चात्, अञ्जलि में (दोनों हाथों की हथेलियों को मिलाकर) पाँच पुष्प लें तथा उन्हें निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये देवी दुर्गा की मूर्ति के समक्ष छोड़ दें तथा मन ही मन देवी से आसन ग्रहण करने का आग्रह करें।
अनेक रत्नसंयुक्तं नानामणिगणान्वितम्।
कार्तस्वरमयं दिव्यमासनं प्रतिगृह्यताम् ।।
ॐ भूर्भुवः स्व: दुर्गादेव्यै नमः आसनं समर्पयामि ।।
3. पाद्य प्रक्षालन
देवी दुर्गा को आसन अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, उन्हें चरण प्रक्षालन हेतु जल अर्पित करें।
गङ्गादि सर्वतीर्थेभ्यो मया प्रार्थनायाहृतम् ।
तोयमेतत्सुखस्पर्श पाद्यार्थम् प्रतिगृह्यताम्।।
ॐ भूर्भुवः स्व: दुर्गादेव्यै नमः पाद्यम् समर्पयामि ।।
4. अर्घ्य समर्पण
पाद्य प्रक्षालन के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को सुगन्धित जल अर्पित करें।
गन्धपुष्पाक्षतैर्युक्तमर्घ्यं सम्पादितं मया ।
गृहाण त्वं महादेवि प्रसन्ना भव सर्वदा ।।
ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नमः अर्घ्यं समर्पयामि ।।
5. आचमन समर्पण
अर्घ्य अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को आचमन हेतु जल अर्पित करें।
आचम्यतां त्वया देवि भक्ति मे चलां कुरु ।
ईप्सितं मे वरं देहि परत्र च परां गतिम् ।।
ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नमः आचमनीयं जलं समर्पयामि ।।
6. स्नान
आचमन अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को स्नान हेतु जल अर्पित करें।
पयोदधि घृतं क्षीरं सितया च समन्वितम्।
पञ्चामृतमनेनाद्य कुरु स्नानं दयानिधे ।।
ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नमः स्नानीयं जलं समर्पयामि ।।
7. वस्त्र
स्नान अर्पण के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को नवीन वस्त्रों के रूप में मोली अर्पित करें।
वस्त्रं च सोम दैवत्यं लज्जायास्तु निवारणम्।
मया निवेदितं भक्त्या गृहाण परमेश्वरि ।।
ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नमः वस्त्रं समर्पयामि ।।
8. आभूषण समर्पण
वस्त्र अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को आभूषण अर्पित करें।
हार कङ्कण केयूर मेखला कुण्डलादिभिः ।
रत्नाढ्यं कुण्डलोपेतं भूषणं प्रतिगृह्यताम् ।।
ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नम: आभूषणं समर्पयामि ।।
9. चन्दन समर्पण
आभूषण अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को चन्दन अर्पित करें।
परमानन्द सौभाग्यं परिपूर्णं दिगन्तरे ।
गृहाण परमं गन्धं कृपया परमेश्वरि ।।
ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नमः चन्दनं समर्पयामि ।।
10. रोली समर्पण
तत् पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को अखण्ड सौभाग्य के प्रतीक स्वरूप रोली अथवा कुमकुम अर्पित करें।
कुंकुमं कान्तिदं दिव्यं कामिनी काम सम्भवं ।
कुंकुमेनार्चिते देवि प्रसीद परमेश्वरि ।।
ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नमः कुंकुमं समर्पयामि ।।
11. कज्जलार्पण
कुमकुम अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को काजल अर्पित करें।
कज्जलं कज्जलं रम्यं सुभगे शान्तिकारिके ।
कर्पूर ज्योतिरुत्पन्नं गृहाण परमेश्वरि ।।
ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नमः कज्जलं समर्पयामि ।।
12. मङ्गल द्रव्यार्पण
सौभाग्य सूत्र
काजल अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को सौभगाय सूत्र अर्पित करें।
सौभाग्यसूत्रं वरदे सुवर्ण मणि संयुते ।
कण्ठे बध्नामि देवेशि सौभाग्यं देहि मे सदा ।।
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः सौभाग्यसूत्रं समर्पयामि ।।
सुगन्धित द्रव्य
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को सुगन्धित द्रव्य (इत्र) अर्पित करें।
चन्दनागरु कर्पूरैः संयुतं कुंकुमं तथा ।
कस्तूर्यादि सुगन्धाश्च सर्वाङ्गेषु विलेपनम्।।
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः सुगन्धितद्रव्यम् समर्पयामि ।।
हरिद्रा समर्पण
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को हल्दी अर्पित करें।
हरिद्रारञ्जिते देवि सुख सौभाग्यदायिनी ।
तस्मात्त्वां पूजयाम्यत्र सुखशान्तिं प्रयच्छ मे ।।
ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नमः हरिद्राचूर्णं समर्पयामि ।।
अक्षत समर्पण
हरिद्रा अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को अक्षत (बिना टूटे चावल) अर्पित करें।
रञ्जिताः कंकुमौद्येन न अक्षताश्चातिशोभनाः।
ममैषां देवि दानेन प्रसन्ना भव शोभने।।
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः अक्षतान् समर्पयामि ।।
13. पुष्पाञ्जलि
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को पुष्पाञ्जलि अर्पित करें।
मन्दार पारिजातादि पाटली केतकानि च।
जाती चम्पक पुष्पाणि गृहाणेमानि शोभने।।
ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नम: पुष्पाञ्जलिं समर्पयामि ।।
14. बिल्वपत्र
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को बिल्वपत्र अर्पित करें।
अमृतोद्भवः श्रीवृक्षो महादेवि ! प्रियः सदा ।
बिल्वपत्रं प्रयच्छामि पवित्रं ते सुरेश्वरि ।।
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नम: बिल्वपत्राणि समर्पयामि ।।
15. धूप समर्पण
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को धूप अर्पित करें।
दशांग गुग्गुल धूपं चन्दनागरु संयुतम् ।
समर्पितं मया भक्त्या महादेवि ! प्रतिगृह्यताम्।।
ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नम: धूपमाघ्रापयमि समर्पयामि ।।
16. दीप समर्पण
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को दीप अर्पित करें।
घृतवर्त्तिसमायुक्तं महातेजो महोज्ज्वलम्।
दीपं दास्यामि देवेशि ! सुप्रीता भव सर्वदा ।।
ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नमः दीपं समर्पयामि ।।
17. नैवेद्य
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को नैवेद्य अर्पित करें।
अन्नं चतुर्विधं स्वादु रसैः षड्भिः समन्वितम्।
नैवेद्य गृह्यतां देवि! भक्ति मे ह्यचला कुरु ।।
ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नमः नैवेद्यं समर्पयामि ।।
18. ऋतुफल
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को ऋतुफल अर्पित करें।
द्राक्षाखर्जूर कदलीफल साम्रकपित्थकम् ।
नारिकेलेक्षुजम्बादि फलानि प्रतिगृह्यताम्।।
ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नमः ऋतुफलानि समर्पयामि ।।
19. आचमन
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को आचमन हेतु जल अर्पित करें।
कामारिवल्लभे देवि कर्वाचमनमम्बिके ।
निरन्तरमहं वन्दे चरणौ तव चण्डिके ।।
ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नमः आचमनीयं जलं समर्पयामि ।।
20. नारिकेल समर्पण
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को नारिकेल (नारियल) अर्पित करें।
नारिकेलं च नारङ्गीं कलिङ्गमञ्जिरं त्वा ।
उर्वारुक च देवेशि फलान्येतानि गह्यताम् ।।
ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नमः आचमनीयं जलं समर्पयामि ।।
21. ताम्बूल
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को ताम्बूल (पान-सुपारी) अर्पित करें।
एलालवङ्गं कस्तूरी कर्पूरैः पुष्पवासिताम्।
वीटिकां मुखवासार्थ समर्पयामि सुरेश्वरि ।।
ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नमः ताम्बूलं समर्पयामि ।।
22. दक्षिणा
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को दक्षिणा अर्पित करें।
पूजा फल समृद्धयर्थ तवाग्रे स्वर्णमीश्वरी ।
स्थापितं तेन मे प्रीता पूर्णान् कुरु मनोरथम्।।
ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नमः दक्षिणां समर्पयामि ।।
23. पुस्तक पूजा एवं कन्या पूजन
पुस्तक पूजा
दक्षिणा अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, दुर्गा पूजा के समय उपयोग की गयीं पुस्तकों का पूजन करें।
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः ।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्मताम्।।
ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नमः पुस्तक पूजयामि ।।
दीप पूजा
पुस्तकों के पूजन के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, दुर्गा पूजा में प्रज्वलित दीप देव का पूजन करें।
शुभं भवतु कल्याणमारोग्यं पुष्टिवर्द्धनम्।
आत्मतत्त्व प्रबोधाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते।।
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नम: दीपं पूजयामि ।।
कन्या पूजन
दुर्गा पूजा में कन्या पूजन भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है। अतः दुर्गा पूजा के पश्चात्, कन्याओं को भोजन करने हेतु आमन्त्रित किया जाता है तथा उन्हें दक्षिणा अथवा उपहार प्रदान किये जाते हैं। कन्याओं को दक्षिणा देते समय निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिये।
सर्वस्वरूपे! सर्वेशे सर्वशक्ति स्वरूपिणी।
पूजां गृहाण कौमारि! जगन्मातर्नमोऽस्तु ते ।।
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः कन्या पूजयामि ।।
24. नीराजन
अब निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करने के पश्चात्, देवी दुर्गा की आरती करें।
नीराजनं सुमाङ्गल्यं कर्पूरेण समन्वितम्।
चन्द्रार्कवह्नि सदृशं महादेवि ! नमोऽस्तु ते।।
ॐ भूर्भुव: स्व: दुर्गादेव्यै नमः कर्पूर नीराजनं समर्पयामि ।।
25. प्रदक्षिणा
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, पुष्पों के साथ देवी दुर्गा की प्रतीकात्मक प्रदक्षिणा (परिक्रमा) करें।
प्रदक्षिणं त्रयं देवि प्रयत्नेन प्रकल्पितम्।
पश्याद्य पावने देवि अम्बिकायै नमोऽस्तु ते।।
ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः प्रदक्षिणां समर्पयामि ।।
26. क्षमापन
अन्त में निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, पूजा के समय की गयीं, समस्त प्रकार की ज्ञात-अज्ञात त्रुटियों के लिये देवी माँ दुर्गा से क्षमा-याचना करें।
अपराध शतं देवि मत्कृतं च दिने दिने ।
क्षम्यतां पावने देवि देवेश नमोऽस्तु ते ।।
दुर्गा पूजा में प्रतिदिन की पूजा का विशेष महत्व है जिसमें प्रथम शैलपुत्री से लेकर नवम् सिद्धिदात्री तक नव दुर्गाओं की नव शक्तियों का और स्वरूपों का विशेष पूजा होती है।