सच्चा विजेता कौन
जो स्वयं को जीत लेता है वही सच्चा विजेता है / Who Is The Real Winner
Who Is The Real Winner : अपना आत्म विश्लेषण करना सीखें। अच्छे-बुरे, दोनों ही पहलुओं को देखें और आप अभी जैसे हैं, वैसे कैसे बनें, इसकी कारण मीमांसा करें। यह देखें कि आपके अच्छे और बुरे गुण कौन-से हैं और उन्हें आपने कैसे प्राप्त किया। फिर बुरे गुणों को नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू करें।
अपने स्वभाव से दुर्गुणों को निकाल फेंकें और आध्यात्मिक गुणों को एक-एक करके आत्मसात करना शुरू करें। आप जैसे-जैसे अपनी बुराइयों को पहचानकर उन्हें वैज्ञानिक तरीके से उखाड़कर फेंकते जाते हैं, वैसे-वैसे आप अधिकाधिक बलवान बनते जाते हैं।
इसलिए अपनी कमजोरियों से कभी भी हतोत्साहित न हों, हतोत्साहित होने का अर्थ है आपने अपनी हार स्वीकार कर ली है। आपको रचनात्मक आत्म-विश्लेषण द्वारा अपनी सहायता स्वयं करने में सक्षम बनना ही होगा। जो लोग अपनी विश्लेषणात्मक बुद्धि का उपयोग नहीं करते, वे अंधे हैं, उनमें आत्मा का सहजात ज्ञान अज्ञान से ढक गया है।
इसीलिए लोग दुख में पड़ते हैं। ईश्वर ने हमें अज्ञान के आच्छादन को हटाकर अपने अंतर्जात ज्ञान को प्रकट करने की शक्ति दी है, ठीक वैसे ही जैसे उसने हमें अपनी पलकें खोलकर प्रकाश को देखने की शक्ति दी है। प्रत्येक रात्रि को आत्मनिरीक्षण करें और अपनी मानसिक दैनंदिनी रखें,
और दिन भर में यदा-कदा एक मिनट के लिए स्थिर होकर क्या कर रहे हैं, क्या सोच रहे हैं, इसका
विश्लेषण करें।
Positive Thinking / जीवन में हमेशा सकारात्मक सोच रखें
जो अपना आत्म विश्लेषण नहीं करते, वे कभी नहीं बदलते। वे न बढ़ते हैं, न घटते हैं, बस जहां हैं, वहीं अटककर रह जाते हैं। यह अस्तित्व की अत्यंत खतरनाक अवस्था है। जब आप परिस्थितियों को अपने विवेक पर हावी होने देते हैं, तब आपकी सारी प्रगति रुक जाती है। इसलिए जब आप प्रत्येक रात्रि को अपना आत्म-विश्लेषण करें,
तब इसका ध्यान रखें कि आप एक ही स्थान पर अटककर न रह जाएं। आप इस जगत में अपने-आपको खोने नहीं, बल्कि अपने सच्चे स्वरूप को ढूंढने के लिए आए हैं। ईश्वर ने आपको अपने जीवन पर विजय प्राप्त करने के लिए अपना एक सैनिक बनाकर यहां भेजा है। आप उनकी संतान हैं और आपका सर्वोच्च कर्तव्य है, अपने अहं पर विजय प्राप्त करके ईश्वर के दरबार में अपना अहम स्थान पुनः ग्रहण करना।
हममें कई दोष हैं, जिन पर हमें विजय प्राप्त करनी है। जो स्वयं को जीत लेता है, वही सच्चा विजेता है। जीवन आप पर जो भी उत्तरदायित्व डालता है, उन्हें निभाने का अपनी क्षमतानुसार सर्वोत्तम प्रयास करें।
विश्लेषण और उचित कर्म द्वारा प्रत्येक बाधा को जीतना सीखें और आत्म- जय प्राप्त करें।
आज अधिकांश लोग या तो एक ही स्थान पर अटक गए हैं या अपनी अच्छी व बुरी प्रवृत्तियों की रस्सी खींच में उलझ गए हैं। बुरी प्रवृत्तियां आपके मन के भीतर फुसफुसाती माया की वाणी हैं। माया सदा ही आपको किंकर्तव्यविमूढ़ करने का प्रयास करती रहती है। किसी दुर्बलता का होना कोई पाप नहीं है, परंतु जैसे ही आप उस दुर्बलता को हटाने का प्रयास छोड़ देते हैं, आप युद्ध हार जाते हैं।
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