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MAHI SINGH > Blog > DHARM-GYAN > Pitru Paksha | पितृपक्ष श्राद्ध से जुड़ी कुछ विशेष बातें जानना जरूरी है।
DHARM-GYANADHYATMAअध्यात्मधर्म ज्ञान

Pitru Paksha | पितृपक्ष श्राद्ध से जुड़ी कुछ विशेष बातें जानना जरूरी है।

MAHI SINGH
Last updated: March 1, 2025 11:11 am
By MAHI SINGH
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11 Min Read
Pitru Paksha
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Contents
भाद्रपद पूर्णिमा से पितृपक्ष की शुरुआतपितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां- Pitru PakshaPitru Paksha / पितृपक्ष के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें..श्राद्ध विधि – Pitru Pakshaश्राद्ध पूजा की सामग्री – Pitru Pakshaपितृ पक्ष का महत्व – Pitru Paksha

भाद्रपद पूर्णिमा से पितृपक्ष की शुरुआत

Pitru Paksha : भाद्रपद मास की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत हो जाती है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष रहता है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत अधिक महत्व होता है। पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। इस पक्ष में विधि- विधान से पितर संबंधित कार्य करने से पितरों का आर्शावाद प्राप्त होता है और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पितृ पक्ष की पहली श्राद्ध 18 सितंबर 2024 को और अंतिम श्राद्ध 2 सितंबर 2024 अर्थात आश्विन अमावस्या को किया जायेगा। पितृ पक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी मृत व्यक्ति की तिथि ज्ञात न हो तो ऐसी स्थिति में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है।

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पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां- Pitru Paksha

Pitru Paksha | पितृपक्ष श्राद्ध से जुड़ी कुछ विशेष बातें जानना जरूरी है।

पूर्णिमा श्राद्ध – 18 सितंबर 2024

प्रतिपदा श्राद्ध – 18 सितंबर 2024

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द्वितीया श्राद्ध – 19 सितंबर 2024

तृतीया श्राद्ध – 20 सितंबर 2024

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चतुर्थी श्राद्ध – 21 सितंबर 2024

पंचमी श्राद्ध – 22 सितंबर 2024

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षष्ठी श्राद्ध – 23 सितंबर 2024

सप्तमी श्राद्ध – 24 सितंबर 2024

अष्टमी श्राद्ध- 25 सितंबर 2024

नवमी श्राद्ध – 26 सितंबर 2024

दशमी श्राद्ध – 27 सितंबर 2024

एकादशी श्राद्ध – 28 सितंबर 2024

द्वादशी श्राद्ध- 29 सितंबर 2024

त्रयोदशी श्राद्ध – 30 सितंबर 2024

चतुर्दशी श्राद्ध- 1 सितंबर 2024

अमावस्या श्राद्ध- 2 सितंबर 2024

पौराणिक ग्रंथों में वर्णित किया गया है कि देवपूजा से पहले जातक को अपने पूर्वजों की पूजा करनी चाहिए। पितरों के प्रसन्न होने पर देवता भी प्रसन्न होते हैं। यही कारण है कि भारतीय संस्कृति में जीवित रहते हुए घर के बड़े बुजुर्गों का सम्मान और मृत्योपरांत श्राद्ध कर्म किये जाते हैं। इसके पीछे यह मान्यता भी है कि यदि विधिनुसार पितरों का तर्पण न किया जाये तो उन्हें मुक्ति नहीं मिलती और उनकी आत्मा मृत्युलोक में भटकती रहती है। पितृ पक्ष को मनाने का ज्योतिषीय कारण भी है। ज्योतिषशास्त्र में पितृ दोष काफी अहम माना जाता है।

जब जातक सफलता के बिल्कुल नजदीक पंहुचकर भी सफलता से वंचित होता हो, संतान उत्पत्ति में परेशानियां आ रही हों, धन हानि हो रही हों तो ज्योतिष शास्त्र पितृदोष से पीड़ित होने की प्रबल संभावनाएं होती हैं। इसलिये पितृदोष से मुक्ति के लिये भी पितरों की शांति आवश्यक मानी जाती है।

Pitru Paksha / पितृपक्ष के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें..

शास्त्रों के अनुसार बड़े पुत्र और सबसे छोटे पुत्र को श्राद्ध करने का अधिकार है, इसके अलावा विशेष परिस्थिति में किसी भी पुत्र को श्राद्ध करने का अधिकार है। पितरों का श्राद्ध करने से पूर्व स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। कुश घास से बनी अंगूठी पहनें। इसका उपयोग पूर्वजों का आह्वान करने के लिए किया जाता है। पिंड दान के एक भाग के रूप में जौ के आटे, तिल और चावल से बने गोलाकार पिंड को भेंट करें।

शास्त्रसम्मत मान्यता यही है कि किसी सुयोग्य विद्वान ब्राह्मण द्वारा ही श्राद्ध कर्म (पिंड दान, तर्पण) करवाना चाहिये। श्राद्ध कर्म में पूरी श्रद्धा से ब्राह्मणों को तो दान दिया ही जाता है साथ ही यदि किसी गरीब, जरूरतमंद की सहायता भी आप कर सकें तो बहुत पुण्य मिलता है। इसके साथ-साथ गाय, कुत्ते, कौवे आदि पशु-पक्षियों के लिये भी भोजन का एक अंश जरुर डालना चाहिये।

शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष के दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।

इस दौरान कोई वाहन या नया सामान न खरीदें।

इसके अलावा, मांसाहारी भोजन का सेवन बिलकुल न करें। श्राद्ध कर्म के दौरान आप जनेऊ पहनते हैं तो पिंडदान के दौरान उसे बाएं की जगह दाएं कंधे  पर रखें।

श्राद्ध कर्मकांड करने वाले व्यक्ति को अपने नाखून नहीं काटने चाहिए। इसके अलावा उसे दाढ़ी या बाल भी नहीं कटवाने चाहिए।

तंबाकू, धूम्रपान सिगरेट या शराब का सेवन न करें। इस तरह के बुरे व्यवहार में लिप्त न हों। यह श्राद्ध कर्म करने के फलदायक परिणाम को बाधित करता है। यदि संभव हो, तो सभी 16 दिनों के लिए घर में चप्पल न पहनें। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के पखवाड़े में पितृ किसी भी रूप में आपके घर में आते हैं। इसलिए, इस पखवाड़े में, किसी भी पशु या इंसान का  अनादर नहीं किया जाना चाहिए। बल्कि, आपके दरवाजे पर आने वाले किसी भी प्राणी को भोजन दिया जाना चाहिए और आदर सत्कार करना चाहिए।

पितृ पक्ष में श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का सख्ती से पालन करना चाहिए। पितृ पक्ष में कुछ चीजों को खाना मना है, जैसे- चना, दाल, जीरा, काला नमक, लौकी और खीरा, सरसों का साग आदि नहीं खाना चाहिए। अनुष्ठान के लिए लोहे के बर्तन का उपयोग न करें। इसके बजाय अपने पूर्वजों को खुश करने के लिए सोने, चांदी, तांबे या पीतल के बर्तन का उपयोग  करें।यदि किसी विशेष स्थान पर श्राद्ध कर्म किया जाता है तो यह विशेष फल देता है।

कहा जाता है कि गया, प्रयाग, बद्रीनाथ में श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। जो किसी भी कारण से इन पवित्र तीर्थों पर श्राद्ध कर्म नहीं कर सकते हैं वे अपने घर के आंगन में किसी भी पवित्र स्थान पर तर्पण और पिंड दान कर सकते हैं।

श्राद्ध कर्म के लिए काले तिल का उपयोग करना चाहिए। पिंडदान करते वक्त तुलसी जरूर रखें। श्राद्ध कर्म शाम, रात, सुबह या अंधेरे के दौरान नहीं किया जाना चाहिए।

पितृ पक्ष में, गायों, कुत्तों, चींटियों और ब्राह्मणों को यथासंभव भोजन कराना चाहिए।

पितृ देव की शांति के लिए चालीसा –

पितृ पक्ष में पितरों को मनाने के लिए जरूर करें पितरों की आरती –

इस प्रकार विधि विधान से श्राद्ध पूजा कर जातक पितृ ऋण से मुक्ति पा लेता है व श्राद्ध पक्ष में किये गये उनके श्राद्ध से पितर प्रसन्न होते हैं व आपके घर परिवार व जीवन में सुख, समृद्धि होने का आशीर्वाद देते हैं। आश्विन अमावस्या को श्राद्ध करके पितरों को विधि पूर्वक विदाई किये जाने की परंपरा है. इस दिन की श्राद्ध को सर्व पितृ विसर्जन अमावस्या श्राद्ध कहते हैं और इस अमावस्या को सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या कहते हैं।

सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या को स्नान करके पितरों के नाम पिंड दान करें. उसके बाद शुद्ध मन से भोजन बनवाकर ब्राह्मणों को भोजन करवाएं भोजन सात्विक हो और इसमें खीर अवश्य होनी चाहिए। इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि ब्राह्मणों को भोजन कराने तथा श्राद्ध करने का समय मध्यान्ह हो, तथा ब्राह्मण को भोजन कराने के पूर्व पंचबली दें और हवन करें. ब्राह्मणों को श्रद्धा पूर्वक भोजन कराने के बाद उनका तिलक करें और दक्षिणा प्रदान कर आदर पूर्वक विदा करें.  अंत में घर के सभी सदस्य एक साथ भोजन करें और पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।

श्राद्ध विधि – Pitru Paksha

किसी सुयोग्य विद्वान ब्राह्मण के जरिए ही श्राद्ध कर्म (पिंड दान, तर्पण) करवाना चाहिए। 

श्राद्ध कर्म में पूरी श्रद्धा से ब्राह्मणों को तो दान दिया ही जाता है साथ ही यदि किसी गरीब, जरूरतमंद की सहायता भी आप कर सकें तो बहुत पुण्य मिलता है। 

इसके साथ-साथ गाय, कुत्ते, कौवे आदि पशु-पक्षियों के लिए भी भोजन का एक अंश जरूर डालना चाहिए।

यदि संभव हो तो गंगा नदी के किनारे पर श्राद्ध कर्म करवाना चाहिए। यदि यह संभव न हो तो घर पर भी इसे किया जा सकता है। जिस दिन श्राद्ध हो उस दिन ब्राह्मणों को भोज करवाना चाहिए। भोजन के बाद दान दक्षिणा देकर भी उन्हें संतुष्ट करें।

श्राद्ध पूजा दोपहर के समय शुरू करनी चाहिए. योग्य ब्राह्मण की सहायता से मंत्रोच्चारण करें और पूजा के पश्चात जल से तर्पण करें। इसके बाद जो भोग लगाया जा रहा है उसमें से गाय, कुत्ते, कौवे आदि का हिस्सा अलग कर देना चाहिए। इन्हें भोजन डालते समय अपने पितरों का स्मरण करना चाहिए. मन ही मन उनसे श्राद्ध ग्रहण करने का निवेदन करना चाहिए।

श्राद्ध पूजा की सामग्री – Pitru Paksha

रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी , रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ, कपूर, हल्दी, देसी घी, माचिस, शहद, काला तिल, तुलसी पत्ता , पान का पत्ता, जौ, हवन सामग्री, गुड़ , मिट्टी का दीया , रुई बत्ती, अगरबत्ती, दही, जौ का आटा, गंगाजल, खजूर, केला, सफेद फूल, उड़द, गाय का दूध, घी, खीर, स्वांक के चावल, मूंग, गन्ना।

पितृ पक्ष का महत्व – Pitru Paksha

पितृ पक्ष में पितर संबंधित कार्य करने से व्यक्ति का जीवन खुशियों से भर जाता है।

इस पक्ष में श्राद्ध तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आर्शीवाद देते हैं।

पितर दोष से मुक्ति के लिए इस पक्ष में श्राद्ध, तर्पण करना शुभ होता है।

https://youtube.com/@btxbhaktigroup

https://youtube.com/@singermahisingh

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